Sunday, January 1, 2012

मानव की कीमत तभी

मानव की कीमत तभी जब हो ठीक चरित्र।
दो कौडी का भी नही, बिना महक का इत्र।।
बिना महक का इत्र, पूछ सद्गुण की होती।।
किस मतलब का यार, चमक जो खोये मोती।।
‘ठकुरेला’ कविराय , गुणों की ही महिमा सब।।
गुण, अवगुण अनुसार, असुर सुर, मुनि-गण, मानव।।

-त्रिलोक सिंह ठकुरेला

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