रूखी सूखी ठीक है, यदि मिलता हो मान।
अगर मिले अपमान से , ठीक नहीं पकवान।।
ठीक नही पकवान, घूँट विष की है पीना।।
जब तक जीना,यार, सदा इज्जत से जीना।।
ठकुरेला’ कविराय , मान की दुनिया भूखी।।
भली मान के साथ, रोटियॉं रूखी सूखी।।
-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
अगर मिले अपमान से , ठीक नहीं पकवान।।
ठीक नही पकवान, घूँट विष की है पीना।।
जब तक जीना,यार, सदा इज्जत से जीना।।
ठकुरेला’ कविराय , मान की दुनिया भूखी।।
भली मान के साथ, रोटियॉं रूखी सूखी।।
-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
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