Friday, March 9, 2012

सुनो कबीर

-त्रिलोक सिंह ठकुरेला

सुनो, कबीर
बचाकर रखना
अपनी पोथी.
सरल नहीं
गंगा के तट पर
बातें कहना  .
घडियालों  ने
मानव बनकर
सीखा रहना .
हित की बात
जहर सी लगती
लगती थोथी

बाहर कुछ
अन्दर से कुछ हैं
दुनिया वाले .
उजले लोग
मखमली कपड़े
दिल है काले.

सब ने रखी
ताक पर जाकर
गरिमा जो थी

 .

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