मोती बन जीवन जियो, या बन जाओ सीप।
जीवन उसका ही भला, जो जीता बन दीप।।
जो जीता बन दीप, जगत को जगमग करता।।
मोती सी मुस्कान, सभी के मन मे भरता।।
'ठकुरेला’ कविराय, गुणों की पूजा होती।।
बनो गुणो की खान , फूल दीपक या मोती।।
-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
जीवन उसका ही भला, जो जीता बन दीप।।
जो जीता बन दीप, जगत को जगमग करता।।
मोती सी मुस्कान, सभी के मन मे भरता।।
'ठकुरेला’ कविराय, गुणों की पूजा होती।।
बनो गुणो की खान , फूल दीपक या मोती।।
-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
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