धन की महिमा अमित है, सभी समेटें अंक।
पाकर बौरायें सभी, राजा हो या रंक।।
राजा हो या रंक, सभी इस धन पर मरते।।
धन की खातिर लोग, न जाने क्या क्या करते।।
ठकुरेला’ कविराय , कामना यह हर जन की।।
जीवन भर बरसात, रहे उसके घर धन की।।
-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
पाकर बौरायें सभी, राजा हो या रंक।।
राजा हो या रंक, सभी इस धन पर मरते।।
धन की खातिर लोग, न जाने क्या क्या करते।।
ठकुरेला’ कविराय , कामना यह हर जन की।।
जीवन भर बरसात, रहे उसके घर धन की।।
-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
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